वंशवाद एक बीमारी
दोस्तों प्रणाम, आपका हार्दिक स्वागत
विषय : वंशवाद एक बीमारी
दोस्तों वंशवाद शब्द सुनते ही सबके जहन मैं एक ही बात आती है कि आखिर कब तक इस विषय पर वाद विवाद चलता रहेगा। आज हमारे भारत देश ने कई विषयों पर अपनी जीत दर्ज कर ली है | मगर अभी भी कई ऐसे मुद्दे हैं जो आज के युवा को आगे बढ़ने और उसमे आ रही रुकावटों पर सोचने पर मजबूर करते हैं। वंशवाद भी उनमे से एक ऐसा विषय हैं जिस पर हर आदमी दस मिनट सोचे और अपने विचार बताना शुरू करें तो सुनने वाले कम कम पड़ जायेंगे और बोलने वाले ज्यादा दिखाई देंगे इस विषय पर। क्यों की ये विषय ही ऐसा है जिसकी जानकारी सब को है।
आज हर गरीब, मध्यम परिवार के होनहार बच्चे कई बार सिर्फ इसलिए पीछे रह जाते है क्यों की वंशवाद आड़े आ जाता है. कहाँ कहाँ पीछे रह जाता है इसके लिए मैं अपने विचार आपके साथ शेयर कर रहा हूँ।
वैसे तो बहुत सारे बहुत सारे फील्ड हैं भारत देश मैं जहाँ वंशवाद हावी है मगर आसानी से समझने के लिए आप सिर्फ राजनीति और फिल्म इंडस्ट्री के बारे मैं सोच कर देख लें जहाँ आपको ऐसे अनगिनत चहरे खुद ब खुद आपकी आखों के सामने आ जायेंगे जो लोग राजनीति और फिल्म इंडस्ट्री मैं सिर्फ इसी बलबूते पर प्रवेश कर पाए क्यों की उनके पिताजी या माताजी ने उस फील्ड मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रद्रशन किया या फिर हो सकता हैं नहीं भी किया तो भी कई ऐसे लोग हैं जिनको उस फील्ड मैं मौका इसलिए मिला की उनके परिवार वाले उस फील्ड में थे।
राजनीति मै वंशवाद किस क़द्र हावी है इसके लिए ज्यादा दिमाग पर जोर देने की जरुरत नहीं हैं क्यों की कई ज्वलंत उदहारण आप और मैं अच्छी तरह से जानते हैं। और तो और उनका साथ देने वाले इसलिए उनके बगल मैं खड़े रहते हैं क्यों की वो भी खुद की जगह अपने नालायको को बिठाएंगे भविष्य में। भले फिर वो कोई गॉंव का सरपंच हो ,पार्षद हो, विधायक हो या फिर कोई मुख्य मंत्री हो, प्रधान मंत्री ही क्यों न हो। सब ने ठेका ले रखा है इस देश को चलाने का अगली कई पीढ़ियों तक , क्यों की उनके पिताजी विरासत उनके लिए छोड़ कर गए हैंराजनीति ।
हम लोग ज्यादा दिमाग इसलिए नहीं लगाते क्यों की हम ये सोच कर आगे बढ़ जाते हैं अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए की यार मैं क्या कर सकता हूँ। पर दोस्तों ये बिल्कुल गलत है क्यों राजनीति एक ऐसा क्षेत्र हैं जिसमे आप जिसको चाहो बाहर का रास्ता दिखा सकते हो और इस वंशवाद जैसी बीमारी को जड़ से उखाड़ सकते हो। नहीं तो ये बीमारी आपकी आने वाली पीढ़ीओं के लिए इतनी घातक होगी की आने वाली पीढ़ी उन लोगों की चौखट पर पौंछा ही लगाती रहेगी। क्यों की उनके दादा पिताजी तो राजा थे और उनके लिए गद्दी छोड़कर जायेंगे। अब अगर इस बिमारी को जड़ से ख़त्म करना है तो सब लोगों को सोचना होगा।
दूसरा फील्ड फिल्म इंडस्ट्री है जिसका आज क्या हाल है और कारण सिर्फ वंशवाद ही क्यों की कुछ अच्छे लोगों को छोड़कर वहां वंशवाद का कितना कचरा भरा पड़ा हैं जग जाहिर है। क्यों देखते हो आप ऐसे लोगों की फिल्म जिनके बाप दादा के बल पर उसने इंडस्ट्री मैं एंट्री करी हो। आप चाहो तो ऐसे सब लोगों को घर बिठा सकते हो और जिसका जो टैलेंट हो वो अपने आप वैसा ही काम करेगा। हो सकता है बहुत सारे लोग पकोड़े बेचे जो अभी पकोड़े खा रहे हैं।
ये लेख किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं लिखा गया हैं अपितु इसलिए लिखा गया हैं की आने वाली पीढ़ी को उसकी काबिलयत के हिसाब से काम मिले नाम मिले और इस वंशवाद जैसी बीमारी का इलाज हो सके।
जय हिन्द जय भारत ||
रणधीर सिंह
जयपुर राजस्थान
विषय : वंशवाद एक बीमारी
दोस्तों वंशवाद शब्द सुनते ही सबके जहन मैं एक ही बात आती है कि आखिर कब तक इस विषय पर वाद विवाद चलता रहेगा। आज हमारे भारत देश ने कई विषयों पर अपनी जीत दर्ज कर ली है | मगर अभी भी कई ऐसे मुद्दे हैं जो आज के युवा को आगे बढ़ने और उसमे आ रही रुकावटों पर सोचने पर मजबूर करते हैं। वंशवाद भी उनमे से एक ऐसा विषय हैं जिस पर हर आदमी दस मिनट सोचे और अपने विचार बताना शुरू करें तो सुनने वाले कम कम पड़ जायेंगे और बोलने वाले ज्यादा दिखाई देंगे इस विषय पर। क्यों की ये विषय ही ऐसा है जिसकी जानकारी सब को है।
आज हर गरीब, मध्यम परिवार के होनहार बच्चे कई बार सिर्फ इसलिए पीछे रह जाते है क्यों की वंशवाद आड़े आ जाता है. कहाँ कहाँ पीछे रह जाता है इसके लिए मैं अपने विचार आपके साथ शेयर कर रहा हूँ।
वैसे तो बहुत सारे बहुत सारे फील्ड हैं भारत देश मैं जहाँ वंशवाद हावी है मगर आसानी से समझने के लिए आप सिर्फ राजनीति और फिल्म इंडस्ट्री के बारे मैं सोच कर देख लें जहाँ आपको ऐसे अनगिनत चहरे खुद ब खुद आपकी आखों के सामने आ जायेंगे जो लोग राजनीति और फिल्म इंडस्ट्री मैं सिर्फ इसी बलबूते पर प्रवेश कर पाए क्यों की उनके पिताजी या माताजी ने उस फील्ड मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रद्रशन किया या फिर हो सकता हैं नहीं भी किया तो भी कई ऐसे लोग हैं जिनको उस फील्ड मैं मौका इसलिए मिला की उनके परिवार वाले उस फील्ड में थे।
राजनीति मै वंशवाद किस क़द्र हावी है इसके लिए ज्यादा दिमाग पर जोर देने की जरुरत नहीं हैं क्यों की कई ज्वलंत उदहारण आप और मैं अच्छी तरह से जानते हैं। और तो और उनका साथ देने वाले इसलिए उनके बगल मैं खड़े रहते हैं क्यों की वो भी खुद की जगह अपने नालायको को बिठाएंगे भविष्य में। भले फिर वो कोई गॉंव का सरपंच हो ,पार्षद हो, विधायक हो या फिर कोई मुख्य मंत्री हो, प्रधान मंत्री ही क्यों न हो। सब ने ठेका ले रखा है इस देश को चलाने का अगली कई पीढ़ियों तक , क्यों की उनके पिताजी विरासत उनके लिए छोड़ कर गए हैंराजनीति ।
हम लोग ज्यादा दिमाग इसलिए नहीं लगाते क्यों की हम ये सोच कर आगे बढ़ जाते हैं अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए की यार मैं क्या कर सकता हूँ। पर दोस्तों ये बिल्कुल गलत है क्यों राजनीति एक ऐसा क्षेत्र हैं जिसमे आप जिसको चाहो बाहर का रास्ता दिखा सकते हो और इस वंशवाद जैसी बीमारी को जड़ से उखाड़ सकते हो। नहीं तो ये बीमारी आपकी आने वाली पीढ़ीओं के लिए इतनी घातक होगी की आने वाली पीढ़ी उन लोगों की चौखट पर पौंछा ही लगाती रहेगी। क्यों की उनके दादा पिताजी तो राजा थे और उनके लिए गद्दी छोड़कर जायेंगे। अब अगर इस बिमारी को जड़ से ख़त्म करना है तो सब लोगों को सोचना होगा।
दूसरा फील्ड फिल्म इंडस्ट्री है जिसका आज क्या हाल है और कारण सिर्फ वंशवाद ही क्यों की कुछ अच्छे लोगों को छोड़कर वहां वंशवाद का कितना कचरा भरा पड़ा हैं जग जाहिर है। क्यों देखते हो आप ऐसे लोगों की फिल्म जिनके बाप दादा के बल पर उसने इंडस्ट्री मैं एंट्री करी हो। आप चाहो तो ऐसे सब लोगों को घर बिठा सकते हो और जिसका जो टैलेंट हो वो अपने आप वैसा ही काम करेगा। हो सकता है बहुत सारे लोग पकोड़े बेचे जो अभी पकोड़े खा रहे हैं।
ये लेख किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं लिखा गया हैं अपितु इसलिए लिखा गया हैं की आने वाली पीढ़ी को उसकी काबिलयत के हिसाब से काम मिले नाम मिले और इस वंशवाद जैसी बीमारी का इलाज हो सके।
जय हिन्द जय भारत ||
रणधीर सिंह
जयपुर राजस्थान
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