सरकारी स्कूलो की दुर्दशा और निजी स्कूलो की मनमानी।
सरकारी स्कूलो की दुर्दशा और निजी स्कूलो की मनमानी। .. आज मै अपने विचार जो व्यक्त कर रहा हूँ वो सरकारी स्कूलों की दुर्दशा के बारें मैं है . दोस्तों मेरी उम्र ३८ साल है और मैंने अपनी शिक्षा सरकारी स्कूल मैं ही पूरी करी है। मेरा जहाँ तक खुद का तजुर्बा रहा है . मेरा मतलब जब मैंने अपनी पढाई सरकारी स्कूल मै करी थी उस समय सरकारी स्कूलों की स्थति ज्यादा सही थी . जैसे की मैंने 1996 मैं बारहवीं पास करी थी तो ये ज्यादा पुरानी बात नहीं है . पर हां उस समय हमारे गांव मैं कुछ निजी स्कूल शुरू हो चुके थे जहाँ मेरा छोटा भाई भी पढ़ने जाता था . जब मैंने बारहवीं पास करी उस समय मेरा छोटा भाई सातवी कक्षा में होगा। मैं अपने गांव से ९ मील दूर जोबनेर कस्बे मैं पढ़ने जाता था . जहा मैंने नवीं से बारहवीं तक की पढाई पूरी करी थी . मुझे स्कूल जाने आने मैं जो समय लगता था वो तक़रीबन चार घंटे होते थे . यानि की बारह घंटे मैं से चार घंटे तो मेरे आ...